एंडोमेट्रियोसिस की जांच के लिए बना नया उपकरण

पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पीरियड्स के खून से एंडोमेट्रियोसिस की शुरुआती पहचान करने वाला एक सस्ता और सटीक टेस्ट तैयार किया है, जो बोरॉफीन नामक नैनोमैटेरियल पर आधारित है।

एंडोमेट्रियोसिस की जांच के लिए बना नया उपकरण

पीरियड्स के खून से होगी एंडोमेट्रियोसिस की शुरुआती जांच

दुनिया भर में करीब 20 करोड़ लोग एंडोमेट्रियोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित हैं। इसमें गर्भाशय की परत शरीर के बाहर उगने लगती है, जिससे बहुत ज्यादा दर्द और कभी-कभी बांझपन जैसी समस्या होती है। इस बीमारी की जल्दी पहचान से इसका इलाज आसान हो सकता है, लेकिन अभी तक कोई आसान टेस्ट मौजूद नहीं था।

पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डिपांजन पैन और उनकी टीम ने एक नया पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्ट तैयार किया है, जो पीरियड्स के खून (menstrual blood) से एंडोमेट्रियोसिस को पहचान सकता है। यह टेस्ट प्रोटीन HMGB1 को पहचानता है, जो इस बीमारी से जुड़ा हुआ होता है।

HMGB1 की पहचान में 5 गुना ज्यादा संवेदनशीलता

यह टेस्ट एक गर्भावस्था टेस्ट किट की तरह दिखता है और वैसे ही काम करता है। इसमें बोरॉन से बने बोरॉफीन नामक 2D नैनोमैटेरियल की पतली परतों का उपयोग किया गया है। इन परतों पर ऐसे एंटीबॉडी लगाए गए हैं जो HMGB1 प्रोटीन को पकड़ सकते हैं।

परीक्षणों में पाया गया कि यह टेस्ट HMGB1 प्रोटीन को बहुत ही कम मात्रा में भी पहचान सकता है, जो वर्तमान में इस्तेमाल हो रहे लैब टेस्ट की तुलना में पाँच गुना ज्यादा संवेदनशील है।

टेस्ट की कार्यप्रणाली

इस टेस्ट को करने के लिए पीरियड्स के खून की कुछ बूंदें टेस्ट स्ट्रिप पर डाली जाती हैं। अगर खून में HMGB1 मौजूद है, तो स्ट्रिप पर दो लाइनें दिखती हैं – जैसे कि प्रेग्नेंसी टेस्ट में होता है।

शोध में वैज्ञानिकों ने इस स्ट्रिप को अलग-अलग मात्रा में HMGB1 मिले खून पर टेस्ट किया और पाया कि यह बेहद कम मात्रा में भी HMGB1 की पहचान कर लेता है।

आसान, सस्ता और घर पर किया जा सकने वाला टेस्ट

प्रोफेसर पैन के मुताबिक, यह टेस्ट बहुत ही सस्ता, तेज़ और आसान है। इसे घर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है और आने वाले समय में इसे सैनिटरी पैड में भी लगाया जा सकता है ताकि महिलाएं बिना किसी झिझक के खुद की जांच कर सकें।

भविष्य की योजनाएं

इस शोध को ACS Central Science जर्नल में प्रकाशित किया गया है और इसका कवर स्टोरी में उल्लेख भी किया गया है। अगला कदम इस तकनीक को बड़े स्तर पर टेस्ट करना है, ताकि इसे बाजार में लाया जा सके। इसके अलावा, वैज्ञानिक इस तकनीक से HPV और सर्वाइकल कैंसर जैसे अन्य रोगों की पहचान करने वाले टेस्ट भी विकसित करना चाहते हैं।

यह अध्ययन दिखाता है कि अगर सामाजिक झिझक और तकनीकी सीमाओं को हटाया जाए, तो पीरियड्स के रक्त को महिलाओं की सेहत सुधारने के लिए एक बेहतरीन डायग्नोस्टिक टूल बनाया जा सकता है।