बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की 17 नई पहल, पारदर्शिता और तकनीक पर रहेगा फोकस
चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 17 नई पहलें शुरू की हैं, जिनमें सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग, उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरें, और मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने 17 नई पहलें शुरू करने की घोषणा की है, जिनका उद्देश्य राज्य में निर्वाचन प्रक्रिया को और पारदर्शी और तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है। मुख्य चुनाव आयुक्त ग्यानेश कुमार ने पटना में चुनाव तैयारियों की समीक्षा के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ये सुधार भविष्य में देशभर में लागू करने के लिए मॉडल साबित होंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि अब सभी मतदान केंद्रों पर 100 प्रतिशत वेबकास्टिंग की जाएगी ताकि मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) को मतदान शुरू होने से पहले मॉक पोल में भाग लेने और मतदान समाप्ति के बाद फॉर्म 17C प्राप्त करने की सलाह दी गई है।
ग्यानेश कुमार ने कहा कि इस बार इवीएम बैलेट यूनिट पर उम्मीदवारों के नाम के साथ रंगीन फोटो प्रदर्शित होंगे, जिससे मतदाताओं के लिए पहचान आसान होगी। साथ ही मतदाता पर्चियों पर नाम बड़े अक्षरों में लिखे जाएंगे ताकि मतदाता अपने बूथ आसानी से ढूंढ सकें।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि मतदाताओं को अब मतदान केंद्र के बाहरी क्षेत्र तक मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति दी जाएगी — यह सुविधा पहली बार लागू की जा रही है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि अब राजनीतिक दल मतदान केंद्र से 100 मीटर की दूरी पर अपने बूथ एजेंट केंद्र स्थापित कर सकेंगे, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर जनता का भरोसा और मजबूत होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ईसीआई नेट एप्लिकेशन को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है, जो चुनाव से जुड़े सभी हितधारकों के लिए एक आधुनिक तकनीकी मंच के रूप में कार्य करेगा।
उन्होंने आगे कहा कि बिहार में विशेष सारांश पुनरीक्षण (SSR) अत्यंत सटीकता से पूरा किया गया है, जिसमें 90,000 से अधिक मतदान केंद्रों पर बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके परिणामस्वरूप, मतदाता सूची पर बहुत कम आपत्तियाँ और दावे प्राप्त हुए।
उन्होंने बताया कि अब लोगों में दोहरी पंजीकरण (dual registration) के प्रति जागरूकता बढ़ी है और लगभग 3.66 लाख मतदाताओं ने स्वेच्छा से अपने नाम मतदाता सूची से हटाने के लिए आवेदन किया है।
ग्यानेश कुमार ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान कानूनन वैध है और इसे ‘प्रतिनिधित्व अधिनियम’ के तहत संचालित किया गया। कुछ आलोचनाओं के बावजूद, इस अभियान का राज्यभर के मतदाताओं, राजनीतिक दलों और अन्य लोकतांत्रिक हितधारकों ने व्यापक रूप से स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि बिहार में SIR की सफलता देशभर में मतदाता सूची के शुद्धिकरण के लिए एक प्रेरणा बनेगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ग्यानेश कुमार के नेतृत्व में दो दिनों तक आयोग ने चुनाव तैयारियों पर व्यापक विचार-विमर्श किया। इस दौरान चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर संधू और डॉ. विवेक जोशी भी मौजूद थे। पहले दिन आयोग ने 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से मुलाकात की और उनके सुझाव सुने। इसके बाद 38 जिलों के जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें की गईं।
दूसरे दिन आयोग ने राज्य और केंद्र की विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों, पुलिस विभागों, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ अलग-अलग सत्रों में बैठक की। इन बैठकों में चुनावी पारदर्शिता, सुरक्षा व्यवस्था और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।