सिडनी में राजनाथ सिंह का नौसैनिक दौरा: भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा साझेदारी में नया अध्याय
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिडनी में एचएमएएस कुट्टाबुल का दौरा कर भारत-ऑस्ट्रेलिया नौसैनिक सहयोग को नई दिशा दी।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ऑस्ट्रेलियाई दौरे के दूसरे दिन सिडनी स्थित एचएमएएस कुट्टाबुल नेवल बेस का दौरा किया, जो रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना का एक प्रमुख केंद्र है। उन्होंने सिडनी हार्बर में स्थित एडमिरल हडसन जहाज पर जाकर वहां की अत्याधुनिक समुद्री सुविधाओं का निरीक्षण किया और नौसेना की परिचालन क्षमता की जानकारी ली।
इस अवसर पर ऑस्ट्रेलिया के सहायक रक्षा मंत्री पीटर खलील ने राजनाथ सिंह का स्वागत किया और फ्लीट बेस ईस्ट के जल दौरे में उनके साथ रहे। इस दौरान उन्हें रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना की रणनीतिक तैयारियों, बुनियादी ढांचे और समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “सिडनी में ऐतिहासिक और रणनीतिक नेवल बेस एचएमएएस कुट्टाबुल का दौरा किया। एडमिरल हडसन जहाज पर सिडनी हार्बर की आधुनिक सुविधाओं से परिचित हुआ। भारत-ऑस्ट्रेलिया नौसैनिक सहयोग को गहराई देने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समन्वित समुद्री जागरूकता बढ़ाने से दोनों देशों को लाभ होगा।”
एचएमएएस कुट्टाबुल ऑस्ट्रेलिया की नौसेना के लिए न सिर्फ प्रशासनिक और प्रशिक्षण केंद्र है, बल्कि यह फ्लीट बेस ईस्ट के संचालन का मुख्य आधार भी है। यह ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर नौसैनिक अभियानों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करता है।
रक्षा मंत्री की यह यात्रा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा साझेदारी को और सशक्त बनाने की दिशा में अहम कदम साबित हुई है। यह सहयोग न केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच सैन्य, औद्योगिक और तकनीकी सहयोग के नए अवसर भी खोलेगा।
इससे पहले, गुरुवार को राजनाथ सिंह ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस से मुलाकात कर रक्षा उद्योग, समुद्री सुरक्षा, संयुक्त सैन्य अभ्यास और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुसंधान में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की थी।
यह बैठक भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी के पाँच वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित की गई थी, जिसमें दोनों देशों ने रक्षा संबंधों को और गहराई देने की अपनी साझा प्रतिबद्धता को दोहराया। यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले गया है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के साझा लक्ष्य को भी सशक्त किया है।